छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के ग्राम हरघन के निवासी ठाकुर अमरवानी ने मार्च 2017 में संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा ली। उनका जीवन पारंपरिक पूजा-पाठ और कई समस्याओं से भरा हुआ था। लेकिन उनके छोटे बेटे की गंभीर किडनी फेल्योर की समस्या ने उन्हें संत रामपाल जी महाराज की शरण में आने के लिए प्रेरित किया। यह उनकी प्रेरणादायक कहानी है।
पारंपरिक भक्ति साधना और समस्याएं
ठाकुर अमरवानी ने बताया कि नाम दीक्षा लेने से पहले वे हिंदू धर्म की परंपरागत पूजा-अर्चना करते थे। वे श्री गणेश, दुर्गा, और हनुमान जी की आराधना करते थे। लेकिन इन साधनाओं से उन्हें कोई लाभ नहीं मिला।
उनके छोटे बेटे लकी को तीन-चार साल की उम्र में किडनी फेल होने की समस्या हुई। डॉक्टरों ने बताया कि लकी की दोनों किडनियां खराब हो चुकी हैं और सत्रह साल की उम्र में किडनी ट्रांसप्लांट ही एकमात्र उपाय होगा। उन्होंने रायपुर, हैदराबाद, और कई अन्य स्थानों के बड़े अस्पतालों में इलाज कराया, लेकिन स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ।
संत रामपाल जी महाराज की शरण में आना
ठाकुर अमरवानी के एक साथी शिक्षक ने उन्हें संत रामपाल जी महाराज के सत्संग सुनने की सलाह दी। तीन-चार महीने तक सत्संग सुनने के बाद उन्हें ज्ञान की समझ हुई और उन्होंने अपने दोनों बेटों के साथ संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा ली।
नाम दीक्षा के बाद हुए लाभ
- लकी की बीमारी से मुक्ति:
- लकी, जिसकी दोनों किडनियां खराब थीं, अब पूरी तरह से स्वस्थ है। संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने के बाद वह बिना किसी दवा और डॉक्टर की सहायता के सामान्य जीवन जी रहा है।
- नशा छोड़ना:
- ठाकुर अमरवानी ने बताया कि नाम दीक्षा लेने के बाद उन्होंने तंबाकू, शराब और अन्य नशों को पूरी तरह से त्याग दिया।
- आध्यात्मिक जागरूकता और शांति:
- संत रामपाल जी महाराज की शरण में आने से उन्हें आत्मिक शांति और जीवन का सही उद्देश्य समझ में आया।
लकी के अनुभव
लकी ने बताया कि किडनी फेल्योर की वजह से उसे अक्सर बुखार और पेशाब में समस्या होती थी। लेकिन संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने के बाद वह पूरी तरह स्वस्थ हो गया है।
दर्शकों के लिए संदेश
ठाकुर अमरवानी ने कहा कि जो भी लोग किसी बीमारी या समस्या से जूझ रहे हैं, उन्हें संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान समझना चाहिए। उनके बताए भक्ति मार्ग पर चलने से हर समस्या का समाधान संभव है।
संत रामपाल जी महाराज से जुड़ने का तरीका
संत रामपाल जी महाराज के सत्संग टीवी चैनलों, यूट्यूब, और फेसबुक पर देखे जा सकते हैं। सत्संग के दौरान दिखाई जाने वाली पीली पट्टी पर दिए गए नंबरों पर संपर्क करके निकटतम नामदान केंद्र पर जाकर नाम दीक्षा ली जा सकती है।
निष्कर्ष
ठाकुर अमरवानी की कहानी यह सिद्ध करती है कि सच्चे गुरु की शरण में आने से जीवन में चमत्कारिक बदलाव हो सकते हैं। संत रामपाल जी महाराज की कृपा से उनके बेटे की किडनी फेल्योर जैसी गंभीर समस्या का समाधान हुआ और उन्होंने नशामुक्त, सुखमय जीवन जीने का मार्ग पाया।