परिचय
छत्तीसगढ़ के राजनंद गाँव की निवासी दीपक साहू जी ने 19 जून 2017 को संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा ली। इससे पहले, उनका परिवार दामाखेड़ा पंथ और हिंदू धर्म की परंपरागत भक्ति साधनाओं में लगा हुआ था। भक्ति के बावजूद, उन्हें कोई समाधान नहीं मिला। लेकिन संत रामपाल जी महाराज की शरण में आने के बाद उनका जीवन पूरी तरह बदल गया।
परंपरागत भक्ति और संघर्ष
दीपक जी ने बताया कि उनका परिवार बचपन से ही 33 करोड़ देवी-देवताओं की पूजा करता था। साथ ही, वे दामाखेड़ा पंथ से भी जुड़े हुए थे। उन्होंने कहा:
“हमारे माता-पिता ने हमें देवी-देवताओं की भक्ति सिखाई थी, और हम दामाखेड़ा पंथ के प्रकाश मुनि जी के अनुयायी थे। लेकिन इस भक्ति से हमें कोई लाभ नहीं हुआ।”
संत रामपाल जी महाराज की शरण में आने का निर्णय
दीपक जी के पिता 2014 में संत रामपाल जी महाराज से जुड़े, लेकिन दीपक जी को उस समय ज्ञान की गहराई समझ नहीं आई। 2017 में, उन्होंने सत्संग सुनना शुरू किया और ज्ञान गंगा पुस्तक पढ़ी।
“संत रामपाल जी महाराज का तत्वज्ञान समझने के बाद मुझे अहसास हुआ कि हम अब तक गलत भक्ति साधनाएं कर रहे थे। तब मैंने अपने पिता से नाम दीक्षा लेने की इच्छा जताई।”
संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने के बाद प्राप्त लाभ
1. स्वास्थ्य लाभ:
- आंखों की समस्या और सिरदर्द:
दीपक जी को नौवीं कक्षा से ग्लूकोमा की समस्या थी, जिसमें आंखों से आंसू निकलते थे और सिर में लगातार दर्द रहता था। डॉक्टरों ने कहा था कि उन्हें जीवनभर चश्मा लगाना पड़ेगा।
“संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने और सत मंत्रों का जाप करने के बाद, धीरे-धीरे मेरी आंखों और सिर की समस्या पूरी तरह समाप्त हो गई।”
- माँ की बवासीर:
दीपक जी की माँ दो-तीन साल से बवासीर की बीमारी से परेशान थीं। नाम दीक्षा लेने और सत मंत्रों का जाप करने के बाद वे पूरी तरह स्वस्थ हो गईं।
2. भाई की नशे की लत:
दीपक जी के भाई को नशे की लत थी। नाम दीक्षा लेने के बाद उनकी नशे की आदत पूरी तरह समाप्त हो गई।
3. मृत बच्चे का जीवित होना:
दीपक जी ने एक चमत्कारी घटना का उल्लेख किया:
“मेरे भैया का तीन साल का बेटा अचानक बेहोश होकर मर गया। हम सब रोने लगे और बच्चे को संत रामपाल जी महाराज के दंडवत स्थल पर लिटाकर प्रार्थना की। हमने अमृत जल और प्रसाद खिलाया। तीस मिनट बाद बच्चा जीवित हो गया और उठकर बैठ गया।”
यह घटना उनके पूरे परिवार के लिए एक चमत्कार साबित हुई और उनके भाई ने उसी दिन नाम दीक्षा ले ली।
4. आर्थिक स्थिति में सुधार:
पहले उनके पिता और भाई दूसरों की दुकानों पर काम करते थे। नाम दीक्षा लेने के बाद, परमात्मा की कृपा से उनकी खुद की दो-दो दुकानें हो गईं और उनकी आर्थिक स्थिति में बड़ा सुधार आया।
पुराने पंथ को त्यागने का कारण
दीपक जी ने बताया कि दामाखेड़ा पंथ में कबीर साहेब को सतगुरु माना जाता है, लेकिन वहां के लोग शास्त्रविरुद्ध भक्ति करते हैं, जैसे मूर्ति पूजा। उन्होंने कहा:
“संत रामपाल जी महाराज के सत्संग और पुस्तकों से हमें प्रमाण मिला कि कबीर साहेब जी पूर्ण परमात्मा हैं। आज के कबीरपंथी सही मार्ग पर नहीं चल रहे हैं।”
संदेश: दामाखेड़ा पंथ के अनुयायियों के लिए
दीपक जी ने हाथ जोड़कर विनती की:
“आप जो दामाखेड़ा पंथ में भक्ति कर रहे हैं, वह शास्त्रविरुद्ध है। संत रामपाल जी महाराज आज इस धरती पर पूर्ण परमात्मा के अवतार हैं। उनके बताए गए शास्त्रअनुकूल भक्ति विधि को अपनाकर आप अपना मोक्ष करा सकते हैं।”
संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा कैसे लें?
दीपक जी ने बताया कि संत रामपाल जी महाराज के सत्संग विभिन्न टीवी चैनलों पर प्रसारित होते हैं। सत्संग के दौरान पीली पट्टी पर चलने वाले संपर्क नंबरों पर कॉल करके नज़दीकी नामदान केंद्र की जानकारी ली जा सकती है। वहाँ जाकर नाम दीक्षा निशुल्क ली जा सकती है।
निष्कर्ष
यह कहानी स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि संत रामपाल जी महाराज की शरण में आने से व्यक्ति की हर समस्या का समाधान संभव है। चाहे स्वास्थ्य समस्याएँ हों, नशे की आदत हो या आर्थिक संकट, संत रामपाल जी महाराज की कृपा से जीवन में सुख-शांति और समाधान आता है।
यदि आप भी अपने जीवन की समस्याओं से मुक्ति पाना चाहते हैं, तो संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेकर सच्चे भक्ति मार्ग पर चलें और अपना कल्याण कराएं।