छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के मड़ौदा गांव के रहने वाले विशंभर दास साहू ने 26 जुलाई 2015 को संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा ली। पहले से ही कबीरपंथ से जुड़े विशंभर दास जी का जीवन संत रामपाल जी महाराज की शरण में आने के बाद पूरी तरह बदल गया।
दामाखेड़ा पंथ से संत रामपाल जी महाराज तक का सफर
विशंभर दास साहू पहले दामाखेड़ा पंथ से जुड़े थे। हालांकि, वर्षों की भक्ति और साधना के बाद भी उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ। बढ़ते कर्ज, पारिवारिक कलह, और स्वास्थ्य समस्याओं ने उन्हें और अधिक परेशान कर दिया।
संत रामपाल जी महाराज से जुड़ने का कारण
- उनके रिश्तेदार ने उन्हें संत रामपाल जी महाराज के नाम दीक्षा केंद्र, भूरका भाठ (सूर्यगांव) ले जाने का सुझाव दिया।
- विशंभर जी केवल यह जानने गए थे कि संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान और मंत्र क्या अलग है।
- सत्संग सुनने और दीक्षा लेने के बाद, उन्होंने पाया कि गुरुजी का ज्ञान शास्त्र आधारित है और सच्ची भक्ति की ओर ले जाता है।
नाम दीक्षा के बाद अद्भुत लाभ
1. स्वास्थ्य लाभ:
- पुरानी बवासीर की समस्या का समाधान:
- 15 साल तक चल रही बीमारी, जो डॉक्टरों के इलाज से ठीक नहीं हो रही थी, दीक्षा लेने के 6 महीने बाद पूरी तरह ठीक हो गई।
- बच्ची का फ्रैक्चर बिना ऑपरेशन ठीक हुआ:
- उनकी बेटी का पैर टूट गया था। डॉक्टर ने ऑपरेशन की सलाह दी थी।
- संत रामपाल जी महाराज से अरदास करने के बाद, बच्ची बिना ऑपरेशन पूरी तरह ठीक हो गई।
- पत्नी का कैंसर ठीक हुआ:
- पत्नी को थनौटी (कैंसर) की समस्या थी। डॉक्टर ने ऑपरेशन की सलाह दी, लेकिन संत रामपाल जी महाराज के दिए मंत्र जाप और 200 रुपये की दवा से ही वे ठीक हो गईं।
2. कर्ज से मुक्ति और आर्थिक सुधार:
- संत रामपाल जी महाराज से दीक्षा लेने से पहले, विशंभर जी कर्ज में डूबे हुए थे।
- गुरुजी की कृपा से उनकी जमीन की रजिस्ट्री 52,500 रुपये की जगह मात्र 32,200 रुपये में हो गई।
- खेती की पैदावार भी पहले से अधिक हो गई।
3. नशा मुक्त जीवन:
- पहले वे नशे के आदी थे, जो परिवार में कलह का कारण बनता था।
- दीक्षा लेने के बाद, उन्होंने नशा पूरी तरह छोड़ दिया और परिवार में शांति लौट आई।
क्यों छोड़ा दामाखेड़ा पंथ?
1. शास्त्र आधारित ज्ञान का अभाव:
- दामाखेड़ा पंथ में भक्ति के तरीके और मंत्र शास्त्रों से प्रमाणित नहीं थे।
- संत रामपाल जी महाराज का हर ज्ञान वेद, गीता, और कबीर सागर से प्रमाणित है।
2. कबीर सागर में लिखित भविष्यवाणी:
- कबीर सागर में लिखा है:“जब बीत जाए कलियुग पाँच हजार पान सौ पाँचा, तब मेरा वचन होगा साँचा।”
- संत रामपाल जी महाराज ने इसे सत्य प्रमाणित किया।
3. वास्तविक भक्ति मार्ग:
- संत रामपाल जी महाराज की भक्ति शास्त्र आधारित है और मोक्ष का सही मार्ग प्रदान करती है।
संदेश: संत रामपाल जी महाराज क्यों हैं अनोखे?
विशंभर जी के अनुसार:
“संत रामपाल जी महाराज की भक्ति कोई अंधश्रद्धा नहीं है। वे हर बात को शास्त्रों के आधार पर बताते हैं। उनकी दी हुई भक्ति सच्ची है और जीवन को सुखद बनाती है।”
कैसे जुड़ें संत रामपाल जी महाराज से?
- टीवी सत्संग:
- संत रामपाल जी महाराज के सत्संग विभिन्न चैनलों पर प्रसारित होते हैं।
- सत्संग के दौरान पीली पट्टी में दिए गए नंबरों पर संपर्क करें।
- सोशल मीडिया:
- jagatgururampalji.org पर विजिट करें।
- फेसबुक, यूट्यूब, इंस्टाग्राम पर ‘Sant Rampal Ji Maharaj’ सर्च करें।
- पुस्तकें पढ़ें:
- ज्ञान गंगा और जीने की राह पुस्तकें पढ़कर उनके ज्ञान को समझें।
निष्कर्ष
विशंभर दास साहू की कहानी यह प्रमाणित करती है कि संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान जीवन को पूरी तरह से बदल सकता है। उनके अनुभव से यह स्पष्ट है कि सही भक्ति और गुरु के मार्गदर्शन से हर समस्या का समाधान संभव है।
“अगर आप भी जीवन के कष्टों से परेशान हैं, तो संत रामपाल जी महाराज की शरण में आइए और अपने जीवन को खुशहाल बनाइए।”