संत रामपाल जी महाराज से दीक्षा लेने के बाद कैसे बदली डोमार दास साहू जी की ज़िंदगी: एक साक्षात्कार

संत रामपाल जी महाराज से दीक्षा लेने के बाद कैसे बदली डोमार दास साहू जी की ज़िंदगी: एक साक्षात्कार

परिचय

यह साक्षात्कार डोमार दास साहू जी के साथ है, जो छत्तीसगढ़ के राजनंदगांव जिले के नांगलदा गाँव के निवासी हैं। उन्होंने 28 दिसंबर 2013 को संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा ली। इससे पहले वे पारंपरिक पूजा पद्धतियों और कबीर पंथ से जुड़े थे। आज उनके जीवन में कई अद्भुत बदलाव आ चुके हैं। आइए जानते हैं उनकी कहानी।


डोमार दास साहू जी की भक्ति यात्रा

डोमार दास साहू जी ने बताया कि दीक्षा लेने से पहले वे हिंदू परंपराओं के अनुसार देवी-देवताओं की पूजा करते थे। वे कबीर पंथ से भी जुड़े थे और संध्या आरती और स्वांस की साधना करते थे। लेकिन उन्हें उस साधना का गहराई से ज्ञान नहीं था।

उनके जीवन में बदलाव तब आया, जब उनकी पत्नी के भाई ने उन्हें संत रामपाल जी महाराज की पुस्तक ‘ज्ञान गंगा’ दी। उन्होंने बताया:

“कबीर साहेब को किसी ने पूर्ण परमात्मा नहीं बताया, लेकिन संत रामपाल जी महाराज ने वेद और कुरान के प्रमाण देकर बताया कि कबीर ही पूर्ण परमात्मा हैं।”

इसके बाद, उन्होंने सत्संग चैनल पर संत रामपाल जी महाराज का सत्संग देखना शुरू किया। उनकी शिक्षाओं से प्रभावित होकर उन्होंने 28 दिसंबर 2013 को नाम दीक्षा ली।


संत रामपाल जी महाराज की शरण में आने के बाद प्राप्त लाभ

डोमार दास साहू जी ने बताया कि दीक्षा लेने के बाद उन्हें कई चमत्कारी लाभ प्राप्त हुए:

  1. चर्म रोग से मुक्ति:
    लगभग 15-20 साल से वे एक गंभीर एलर्जी से जूझ रहे थे। खेतों में काम करते समय उनके शरीर पर फोड़े-फुंसी हो जाते थे। कई डॉक्टरों से इलाज कराने के बावजूद राहत नहीं मिली। लेकिन संत रामपाल जी महाराज की दीक्षा और उनके बताए अनुसार भक्ति करने से यह समस्या पूरी तरह ठीक हो गई।
  2. परिवार की स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान:
    उनकी पत्नी को पथरी और बवासीर की समस्या थी, जो पूरी तरह ठीक हो गई। उनके छोटे बच्चों को निमोनिया की समस्या थी, जिससे भी राहत मिली।
  3. मधुमक्खी के हमले से बचाव:
    एक बार डोमार दास साहू जी पर मधुमक्खियों ने हमला किया, जिससे उनकी जान को खतरा था। उन्होंने बताया कि अगर वे संत रामपाल जी महाराज की शरण में न होते, तो उनकी मृत्यु तय थी। लेकिन नाम सुमिरन करने से मधुमक्खियाँ खुद-ब-खुद चली गईं।
  4. आध्यात्मिक ज्ञान और शांति:
    दीक्षा के बाद, उन्होंने सद्ग्रंथों का गहन अध्ययन किया और आत्मिक शांति प्राप्त की।

डोमार दास साहू जी का संदेश

डोमार दास साहू जी ने दर्शकों को सलाह दी:

“आज विभिन्न चैनलों पर संत रामपाल जी महाराज का सत्संग सुनें और उनके बताए ज्ञान को अपनाएं। भक्ति मार्ग पर चलकर आप भी वह लाभ प्राप्त कर सकते हैं, जो मैंने पाया है।”

संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा कैसे लें?

डोमार दास साहू जी ने बताया कि संत रामपाल जी महाराज के सत्संग विभिन्न चैनलों पर प्रसारित होते हैं। सत्संग के दौरान स्क्रीन पर चलने वाली पीली पट्टी में दिए गए नंबर पर संपर्क कर कोई भी नाम दीक्षा ले सकता है।

निष्कर्ष

यह साक्षात्कार डोमार दास साहू जी के जीवन में संत रामपाल जी महाराज की दीक्षा से आए अद्भुत बदलाव को दर्शाता है। यदि आप भी अपने जीवन में सुख-शांति और समस्याओं का समाधान चाहते हैं, तो संत रामपाल जी महाराज की शरण में जाकर नाम दीक्षा लें।

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