परिचय:
यह साक्षात्कार छत्तीसगढ़ के राजनंदगांव जिले के निवासी कुंभन दास साहू जी के साथ है, जिन्होंने 2013 में संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा ली। पहले वे दामाखेड़ा पंथ से जुड़े थे और पारंपरिक भक्ति पद्धतियों का पालन करते थे। आज, उनका जीवन पूरी तरह बदल चुका है। आइए जानते हैं उनकी प्रेरक कहानी।
भक्ति का प्रारंभ और संत रामपाल जी महाराज की ओर रुझान
कुंभन दास साहू जी ने बताया कि वे अपने परिवार की परंपरा के अनुसार दामाखेड़ा पंथ से जुड़े थे। वे गुरुवार को पूजा करते थे और अन्य देवी-देवताओं की भक्ति करते थे। लेकिन कबीर साहेब जी की वाणियाँ उन्हें लगातार प्रेरित कर रही थीं:
“पत्थर पूजे हरि मिले, तो मैं पूजूँ पहाड़।”
“मुड मुड़ाए सो हरि मिले, तो सब कोए लिए मुड़ाए।”
उन्होंने महसूस किया कि उनकी भक्ति सही मार्ग पर नहीं थी। दामाखेड़ा पंथ की परंपराओं में नाच-गाना और अन्य गतिविधियाँ शामिल थीं, जो कबीर साहेब की वाणी के विपरीत थीं। इसी कारण उन्होंने संत रामपाल जी महाराज की शरण में आने का निर्णय लिया और 5 जुलाई 2013 को दीक्षा ली।
संत रामपाल जी महाराज की शरण में आने के लाभ
कुंभन दास साहू जी ने बताया कि संत रामपाल जी महाराज की शरण में आने के बाद उनके जीवन में कई चमत्कारी परिवर्तन हुए। इनमें से कुछ प्रमुख लाभ हैं:
- पारिवारिक समस्याओं का समाधान:
उनकी बड़ी बेटी, जो 20 वर्षों तक बिस्तर गीला करने की समस्या से जूझ रही थी, दीक्षा लेने के कुछ समय बाद पूरी तरह ठीक हो गई। - आर्थिक उन्नति:
पहले कुंभन दास साहू जी की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर थी। लेकिन दीक्षा लेने के बाद उनके पास आज चार-चार चारपहिया वाहन हैं। इनमें से एक वाहन स्कूल में बच्चों को ले जाने के लिए लगाया गया है, जिससे आय का अतिरिक्त स्रोत बना। - दुर्घटनाओं से रक्षा:
2021 में एक प्लास्टर का काम करते समय कुंभन दास साहू जी को करंट लग गया था। उन्होंने बताया कि करंट की वजह से मौत निश्चित थी, लेकिन संत रामपाल जी महाराज की दीक्षा से मिली भक्ति के कारण वे बच गए। - नशा छोड़ना:
दीक्षा लेने से पहले कुंभन दास साहू जी शराब, गांजा, और अन्य मादक पदार्थों का सेवन करते थे। दीक्षा के बाद उन्होंने सभी प्रकार के नशे पूरी तरह छोड़ दिए, जिससे उनके परिवार का माहौल भी शांतिपूर्ण हो गया।
संत रामपाल जी महाराज की दीक्षा कैसे लें?
कुंभन दास साहू जी ने बताया कि संत रामपाल जी महाराज के सत्संग विभिन्न चैनलों पर प्रसारित होते हैं। सत्संग के दौरान स्क्रीन पर चलने वाली पीली पट्टी में दिए गए नंबर पर संपर्क कर कोई भी नाम दीक्षा ले सकता है और अपना कल्याण करवा सकता है।
निष्कर्ष:
यह साक्षात्कार कुंभन दास साहू जी के जीवन में संत रामपाल जी महाराज की दीक्षा से आए अद्भुत बदलाव को दर्शाता है। अगर आप भी अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाना चाहते हैं, तो संत रामपाल जी महाराज की शरण में आकर नाम दीक्षा लें।