संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने के बाद कैसे बदली सिखा दिवाकर जी की ज़िंदगी: एक साक्षात्कार

संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने के बाद कैसे बदली सिखा दिवाकर जी की ज़िंदगी: एक साक्षात्कार

परिचय

यह कहानी छत्तीसगढ़ के बाडौदा बाजार जिले की सिखा दिवाकर जी की है, जिन्होंने 27 जनवरी 2019 को संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा ली। इससे पहले, वे हिंदू और मुस्लिम धर्म की भक्ति साधनाओं का पालन कर चुकी थीं लेकिन उन्हें कोई समाधान नहीं मिला। संत रामपाल जी महाराज की शरण में आने के बाद, उनकी और उनके परिवार की सभी समस्याओं का समाधान हुआ। आइए जानते हैं उनकी पूरी कहानी।


भक्ति की तलाश और संघर्ष

सिखा दिवाकर जी ने बताया कि उनके परिवार को लंबे समय तक भूत-प्रेत बाधा, गंभीर बीमारियों, और आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा:

“हमने देवी-देवताओं जैसे दुर्गा, गणेश, शिव जी की पूजा की। फिर भी समस्याएँ बनी रहीं। भूत-प्रेत की बाधा से परेशान होकर, हमने मुस्लिम धर्म अपनाने का भी विचार किया। पाँच साल तक नमाज पढ़ी, रोज़े रखे, लेकिन हमें कोई लाभ नहीं मिला।”

सिखा जी के पिता ने अजमेर शरीफ में मन्नत भी मांगी और कहा था कि अगर उनकी समस्याएँ हल हो जाएंगी, तो वे मुस्लिम धर्म अपना लेंगे। लेकिन तमाम भक्ति साधनाओं के बावजूद उनके परिवार की समस्याएँ खत्म नहीं हुईं।


संत रामपाल जी महाराज की शरण में आने का निर्णय

सिखा जी ने बताया कि उनकी बुआ, लता दासी (संत रामपाल जी महाराज की अनुयायी), ने उन्हें सत्संग सुनने और नाम दीक्षा लेने की सलाह दी। उनकी बुआ ने कहा:

“संत रामपाल जी महाराज की शरण में आने से आपकी सभी समस्याएँ खत्म हो जाएंगी।”

सिखा जी और उनके परिवार ने ज्ञान को समझा और 27 जनवरी 2019 को सांपा नामदान केंद्र से नाम दीक्षा ली।


संत रामपाल जी महाराज की कृपा से प्राप्त लाभ

1. भूत-प्रेत बाधा से मुक्ति:

सिखा जी और उनकी माँ भूत-प्रेत की बाधा से परेशान रहती थीं। नाम दीक्षा लेने के बाद, उन्होंने बताया:

“भूत-प्रेत की बाधा अब हमारे पास तक नहीं आती।”

2. गंभीर बीमारियों का समाधान:

  • सिकल सेल एनीमिया: सिखा जी के भाई और माँ इस बीमारी से जूझ रहे थे, जिसमें खून नहीं बनता। डॉक्टरों ने जीवनभर दवा खाने की सलाह दी थी।“नाम दीक्षा लेने के बाद, उन्होंने एक भी गोली नहीं खाई और अब पूरी तरह स्वस्थ हैं।”
  • किडनी की पथरी: उनके पिता की किडनी में 11mm की पथरी थी, जिसके लिए डॉक्टर ने ऑपरेशन की सलाह दी थी।“संत रामपाल जी महाराज की दया से ऑपरेशन की जरूरत नहीं पड़ी, और पथरी खुद ठीक हो गई।”
  • सांस की बीमारी: उनके दादा को सांस की गंभीर बीमारी थी। डॉक्टर ने कहा था कि यह बीमारी जीवनभर दवाई से ही ठीक रह सकती है।“नाम दीक्षा लेने के बाद, उन्होंने दवाइयाँ बंद कर दीं और अब पूरी तरह स्वस्थ हैं।”

3. स्वास्थ्य में सुधार:

सिखा जी ने बताया कि उन्हें हमेशा खांसी, सर्दी, और पेट दर्द रहता था। नाम दीक्षा लेने के बाद, वे पूरी तरह ठीक हो गईं।


सिखा दिवाकर जी का संदेश

सिखा जी ने सभी दर्शकों से अपील की:

“मानव जन्म बहुत दुर्लभ है। इसे व्यर्थ न करें। संत रामपाल जी महाराज के सत्संग सुनें, उनके बताए ज्ञान को समझें, और नाम दीक्षा लेकर अपनी समस्याओं से छुटकारा पाएं।”

उन्होंने कबीर साहेब के दोहे का भी उल्लेख किया:

“मानव जन्म दुर्लभ है, मिले ना बारंबार।
तरुवर से पत्ता टूट गिरे, बहुर ना लगता डार।”

संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा कैसे लें?

सिखा जी ने बताया कि संत रामपाल जी महाराज के सत्संग विभिन्न टीवी चैनलों पर प्रसारित होते हैं। सत्संग के दौरान स्क्रीन पर चलने वाली पीली पट्टी में दिए गए नंबर पर संपर्क कर आप नजदीकी नामदान केंद्र से नाम दीक्षा ले सकते हैं।


निष्कर्ष

सिखा दिवाकर जी की कहानी यह प्रमाणित करती है कि संत रामपाल जी महाराज की शरण में आने से हर समस्या का समाधान संभव है। यदि आप भी अपने जीवन में शांति और सुख चाहते हैं, तो संत रामपाल जी महाराज की शरण में जाएं और नाम दीक्षा लेकर अपना कल्याण कराएं।


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