छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के जयराम नगर गांव के निवासी दुर्गा प्रसाद वस्त्रकार का जीवन एक समय कठिनाइयों और नशे की आदतों से भरा हुआ था। उन्होंने भक्ति के कई रूप अपनाए, लेकिन वास्तविक शांति और बदलाव उन्हें संत रामपाल जी महाराज की शरण में आने के बाद मिला। 19 अप्रैल 2013 को उन्होंने संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा ली और उनके जीवन में चमत्कारिक परिवर्तन हुए।
प्रारंभिक जीवन और भक्ति की यात्रा
दुर्गा प्रसाद जी ने बताया कि वे बचपन से ही धार्मिक प्रवृत्ति के थे। छठवीं कक्षा से रामचरितमानस, रामायण, और नवधा रामायण जैसे आयोजनों में वे लगातार 32 वर्षों तक भाग लेते रहे। वे शंकर भगवान और हनुमान जी की पूजा में गहरी आस्था रखते थे। लेकिन इन आयोजनों में शराब, गांजा, और तंबाकू जैसे नशों का भी प्रचलन था। वे भी इन्हीं आदतों के शिकार हो गए थे।
दुर्गा प्रसाद जी ने पहले एक गुरु बनाया, लेकिन उन्हें सही मार्गदर्शन और जीवन में कोई विशेष लाभ नहीं मिला। वे अपने जीवन के उद्देश्य को समझने और वास्तविक भक्ति का मार्ग खोजने के लिए संघर्ष कर रहे थे।
संत रामपाल जी महाराज से जुड़ाव
उनकी जीवन यात्रा में एक बड़ा मोड़ तब आया जब वे कटनी रेलवे स्टेशन पर गाड़ी का इंतजार कर रहे थे। वहां एक बच्ची ने उन्हें “भक्ति के सौदागर” नामक पुस्तक दी। इस पुस्तक ने उनकी सोच बदल दी। उन्होंने इसे खरीदा और पढ़ा। पुस्तक से प्रेरित होकर, उन्होंने 19 अप्रैल 2013 को संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा ली।
नाम दीक्षा के बाद हुए लाभ
- आध्यात्मिक जागरूकता:
- दुर्गा प्रसाद जी को मनुष्य जीवन का उद्देश्य और सच्ची भक्ति का महत्व समझ में आया।
- नशे की आदतों से मुक्ति:
- शराब, गांजा, तंबाकू और सिगरेट जैसी आदतें उन्होंने तुरंत छोड़ दीं। संत रामपाल जी महाराज की कृपा से यह परिवर्तन अपने आप हुआ।
- आर्थिक उन्नति:
- उनका जीवन पहले आर्थिक रूप से कठिन था। नाम दीक्षा लेने के बाद उनकी आर्थिक स्थिति में बड़ा सुधार हुआ। उन्होंने प्रार्थना के माध्यम से फोर-व्हीलर और ट्रैक्टर जैसे साधन प्राप्त किए।
- बीमारियों से मुक्ति:
- पाइल्स जैसी बीमारियां, जिनका इलाज संभव नहीं हो रहा था, केवल संत रामपाल जी महाराज की प्रार्थना से ठीक हो गईं।
- पारिवारिक शांति:
- उनके परिवार में कलह और तनाव खत्म हो गया। आज उनका परिवार सुखमय जीवन जी रहा है।
संत रामपाल जी महाराज की भक्ति विधि
दुर्गा प्रसाद जी ने बताया कि संत रामपाल जी महाराज शास्त्रों के अनुसार सही भक्ति विधि बताते हैं। वे वेद, गीता, कुरान, बाइबल और अन्य धर्मग्रंथों के आधार पर प्रमाणित करते हैं कि पूर्ण परमात्मा कौन है और उसकी भक्ति कैसे करनी चाहिए। उनकी सिखाई भक्ति विधि के कारण ही दुर्गा प्रसाद जी का जीवन बदल गया।
संत रामपाल जी महाराज से जुड़ने का तरीका
जो लोग संत रामपाल जी महाराज से जुड़ना चाहते हैं, वे उनके सत्संग टीवी चैनलों, यूट्यूब और फेसबुक पर देख सकते हैं। उनके आश्रम के फोन नंबरों पर कॉल करके नजदीकी नामदान केंद्र पर जाकर नाम दीक्षा ले सकते हैं।
निष्कर्ष
दुर्गा प्रसाद वस्त्रकार जी की कहानी यह साबित करती है कि सच्चे गुरु की शरण में आने से जीवन में अद्भुत परिवर्तन हो सकते हैं। संत रामपाल जी महाराज की शिक्षाओं और भक्ति विधि ने उनके जीवन को नई दिशा दी।