परिचय
यह कहानी एक महिला की है, जिसने वर्षों तक संघर्षों और दुखों का सामना किया, लेकिन संत रामपाल जी महाराज की शरण में आने के बाद उसकी ज़िंदगी में चमत्कारी परिवर्तन आया। इस साक्षात्कार में भारती कोरी जी ने बताया कि कैसे उन्होंने संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेकर अपनी समस्याओं से मुक्ति पाई।
प्रारंभिक संघर्ष
भारती जी ने अपने जीवन की शुरुआत परंपरागत भक्ति साधनाओं से की थी, जिसमें ब्रह्मा, विष्णु, महेश जी, दुर्गा जी और हनुमान जी की पूजा की जाती थी। उनका जीवन पहले शांतिपूर्ण था, लेकिन शादी के बाद समस्याएं बढ़ने लगीं:
“शादी के बाद इतनी समस्याएं आईं कि जीवन में केवल तकलीफ ही तकलीफ थी। मैंने हर तरह की भक्ति की, जैसे दुर्गा जी के व्रत, हनुमान जी की पूजा, हर मंदिर में जाना, लेकिन मेरी समस्याएं बढ़ती ही गईं।”
उनकी समस्याओं में घरेलू कलह, मानसिक तनाव और जीवन में आने वाली आर्थिक कठिनाइयां शामिल थीं। फिर उनका जीवन और भी कठिन हो गया जब उनके पति को हार्ट अटैक आया और अंततः उनका निधन हो गया। इस दुख के बाद भारती जी अकेली हो गईं, उनके पास कोई सहारा नहीं था, और उनका आर्थिक संकट और बढ़ गया।
संत रामपाल जी महाराज की शरण में आना
जब भारती जी ने महसूस किया कि पारंपरिक भक्ति से कोई समाधान नहीं मिल रहा है, तब उन्होंने संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने का फैसला किया।
“मेरी बहन ने मुझे संत रामपाल जी महाराज के बारे में बताया और मुझे ‘ज्ञान गंगा’ पुस्तक दी। हालांकि शुरुआत में मुझे विश्वास नहीं हुआ, लेकिन जब समस्याएं बढ़ीं, तो मैंने संत रामपाल जी महाराज के सत्संग को सुनना शुरू किया।”
संत रामपाल जी महाराज के ज्ञान और भक्ति मार्ग को अपनाने के बाद, उनके जीवन में बदलाव आना शुरू हुआ। उन्होंने अपने जीवन की कठिनाइयों से उबरने के लिए भगवान पर पूर्ण विश्वास किया और संत रामपाल जी महाराज के बताए मार्ग पर चलना शुरू किया।
नाम दीक्षा के बाद जीवन में आया बदलाव
जब भारती जी ने संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा ली, तो उनके जीवन में कई सकारात्मक परिवर्तन आए:
“नाम दीक्षा लेने के बाद, मुझे पहले से कहीं अधिक शांति मिली। हम अकेले थे, लेकिन हमें हर समय परमात्मा का आशीर्वाद और मदद मिलती रही।”
संत रामपाल जी महाराज के आशीर्वाद से, उनकी पेंशन समस्या, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं और मानसिक स्थिति सब ठीक हो गई। यहां तक कि उन्हें सरकारी नौकरी में अनुकंपा नियुक्ति भी मिली।
“मुझे SI की पोस्ट मिली और हम अब आत्मनिर्भर हैं। जब कोरोना महामारी के दौरान हमारी स्थिति बहुत खराब थी, तब भी संत रामपाल जी महाराज के आशीर्वाद से हमें जरूरत की सारी चीजें मिलती रहीं।”
अंध श्रद्धा और भक्ति
जब भारती जी से यह पूछा गया कि क्या वे अंध श्रद्धा से संत रामपाल जी महाराज से जुड़ी हैं, तो उन्होंने स्पष्ट रूप से इसका खंडन किया:
“हम अंध श्रद्धा से नहीं जुड़े हैं। संत रामपाल जी महाराज ने हमें सही भक्ति विधि बताई, जो हमारे शास्त्रों के अनुरूप है। हमें यह समझ में आया कि हम पहले गलत मार्ग पर चल रहे थे, और संत रामपाल जी महाराज के ज्ञान से हम सही मार्ग पर आए।”
उनका विश्वास था कि सही भक्ति विधि से ही किसी भी समस्या का समाधान संभव है।
संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा कैसे ली जा सकती है
संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने के लिए कोई भी व्यक्ति आसानी से नामदान केंद्रों से जुड़ सकता है:
“संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा बड़ी आसानी से मिलती है। आप संत रामपाल जी महाराज के चैनल पर सत्संग देख सकते हैं और नामदान केंद्र के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।”
निष्कर्ष
यह कहानी एक प्रेरणा है कि कैसे संत रामपाल जी महाराज के आशीर्वाद से जीवन की कठिनाइयों का सामना किया जा सकता है। संत रामपाल जी महाराज की शरण में आकर सही भक्ति विधि अपनाकर कोई भी व्यक्ति अपनी समस्याओं से मुक्ति पा सकता है और जीवन में सुख-शांति का अनुभव कर सकता है।